एं डटीवी के कलाकार ं ने बप्पा का स्वागत ककया खुशी और उमंग के साथ!
मुंबई : हर साल की तरह इस बार भी आपके पसंदीदा एं डटीवी कलाकार ं नेगणेश चतुर्थी क बडी श्रद्धा और भव्यता के सार्थ मनाया। सभी नेबप्पा का घर मेंस्वागत ककया ढेर सारा प्यार, प्रार्थथना और खास तैयाररय ं के सार्थ। ककसी नेघर मेंइक -फ्रें डली मूकतथलाई, त ककसी नेअन खी सजावट और स्वाकदष्ट पकवान ं सेउत्सव क खास बना कदया। इन कलाकार ं मेंशाकमल हैं: पारस अर डा (जीतू, घरवाली पेडवाली), सपना कसकरवार (कबमलेश, हप्पू की उलटन पलटन) और र कहताश्व गौर (मनम हन कतवारी, भाभीजी घर पर हैं)।पारस अर डा, यानी घरवाली पेडवाली के जीतूकहतेहैं: “हमनेबप्पा क डेढ़ कदन के कलए घर बुलाया हैऔर पररवार मेंउत्साह का किकाना नहीं है। हर साल मैंइक -फ्रें डली मूकतथही लाता हूँऔर बचपन सेही सजावट की क़िम्मेदारी मेरी रही है, चाहेशेड्यूल ककतना भी व्यस्त क् ं न ह । इस साल सजावट मेंपरंपरा और आधुकनकता द न ं का मेल है। माूँनेहमेशा की तरह बप्पा के कलए स्वाकदष्ट प्रसाद बनाए उकडीचेम दक, लड्डू और कई तरह के पकवान। आस-पड स और ररश्तेदार भी दशथन के कलए आतेहैं, कजससेघर का माहौल और भी खुशहाल ह जाता है। मेरेकलए गणेश चतुर्थी के वल पूजा-पाि नहीं है, बल्कि पररवार और द स्त ं के सार्थ जुडाव और बप्पा का आशीवाथद पानेका समय है। घर मेंप्यार, सकारात्मकता और एकता का वातावरण है, ज इन पल ं क वाकई खास बना देता है। गणपकत बप्पा म रया!” सपना कसकरवार, ज हप्पू की उलटन पलटन में कबमलेश का ककरदार कनभाती हैं, कहती हैं: “गणपकत बप्पा हमेशा हमारेघर मेंअपार खुशी और कदव्य ऊजाथ लेकर आतेहैं। इस साल हमारी मूकतथ गुलाबी और सफे द रंग की है, ज शांकत और सकारात्मकता का प्रतीक है। सजावट ता़िेफू ल ं—कलली और डैफ कडल्स से की गई है, कजससेपूरा घर एक कदव्य बगीचेजैसा लग रहा है। मैंबप्पा के कलए म दक और अन्य पकवान बनाती हूँ। इस बार मेरी सह-कलाकार और रील लाइफ बहन, गीताांजकल कमश्रा (राजेश), भी मेरेसार्थ कमलकर सजावट और पकवान ं की तैयारी मेंशाकमल हुईं। जब हमारेश के बाकी कलाकार भी दशथन के कलए घर आतेहैं, त यह और भी यादगार ह जाता है। मेरेकलए गणेश चतुर्थी भल्कि, सार्थ और घर क कदव्य ऊजाथ सेभरनेका पवथहै। इस बार का उत्सव मेरेकलए वाकई अकवस्मरणीय रहा।” र कहताश्व गौर, यानी भाभीजी घर पर हैं के मनम हन कतवारी कहतेहैं“कपछले24 साल सेहम घर मेंबप्पा ला रहेहैंऔर यह साल का सबसेखास समय ह ता है। कपछलेतीन साल सेहम 11 कदन का गणपकत रखतेहैंऔर घर मेंकदव्यता का माहौल रहता है। इस साल का र्थीम सफे द है—बैकग्राउंड सेलेकर सजावट तक—कजससेघर मेंशांकत और पकवत्रता बनी हुई है। बप्पा का मुकु ट कतरुपकत बालाजी जैसा बनाया गया है, कजससेउनका रूप और भी राजसी और आध्याल्कत्मक लग रहा है। मेरी पत्नी रेखा नेहलवा, गुकजया, कचवडा और छ लेपूरी जैसेपकवान बनाए हैं, कजन्हेंहम बप्पा क भ ग लगाकर सबके सार्थ बांटतेहैं। मेरेजीवन मेंज कु छ भी है, वह बप्पा की कृ पा सेहै। इन 11 कदन ं मेंपूरा पररवार बारी-बारी सेबप्पा के पास रहता हैऔर कभी उन्हेंअके ला नहीं छ डता। यह परंपरा हमेंभल्कि और आल्कत्मक शांकत का अनुभव कराती है। गणपकत बप्पा म रया!”
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